दमोह मध्यप्रदेश/आज पूरे भारत में भारतीय सँविधान का खुल कर विरोध हो रहा हैं। भारत की कितनी पक्षपात वाली व्यवस्था है। जिसमे हर वार सवर्णो इज़्ज़त मान सम्मान के लिए तत्काल रोड़ पर उतर कर प्रशासन का विरोध करने लगते हैं।
चाहे पद्मावती मूवी हो या आर्टीकल15 हो,
कभी ये अपनी महिलाओं के सम्मान पर बनी फ़िल्म पद्मावती हो या फिर स्वम् के द्वारा दलितों पर किये आत्यचारो पर बनी फिल्म आर्टिकल 15 हो ।
भारत में सिर्फ कुछ सवर्णो संघठनो अपनी इज़्ज़त मान सम्मान की लड़ाई जाइज़ लगते हैं। वाकी के वर्गों के मान सम्मान से कोई सरोकार नही। मुझे लगता हैं ऐसे कट्टरपंथी संघठनो के खिलाफ़ दंडात्मक करवाही होना चाहिये। और जो भारतीय संविधान के अनुसार संविधान का विरोध करता है तो उस पर रासुका जैसे अपराध पंजीबत करने का नियम है तो फिर भारतीय संविधान के एक अनुच्छेद 15 का विरोध किया जा रहा है, तो क्या उन लोगो पर रासुका का अपराध पंजीबत क्यो नही होना चाहिये। अनुच्छेद15 पर बनी फिल्म को सहन नही कर पा रहे। तो फिर मानवतावादी विश्व के सबसे अच्छे संविधान को कैसे स्वीकार कर पा रहे होंगे।
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